भोजपुरी !!
महाशिवरात्री अथवा शिवरात्री हिन्दु लोग के प्रमुख त्योहार क़े रूप में मनावल जाला। महाशिवरात्री के शिव जी के प्रमुख आ सबसे प्रिय व्रत मानल जाला। भगवान शिव के उत्पत्ति भईल रात के नाम से नमाकरण भईल ई पर्व कालरात्री, मोहरात्री, सुखरात्री आ शिवरात्री नामक चार रात्री मध्ये एक पवित्र पर्व के रुप में पुराण में वर्णित बा।
फाल्गुण कृष्ण चतुर्दशी के दिन मनावाल जाएवाला एह पबनी के सम्पुर्ण दीन दु:खी आ कष्टपुर्ण अवस्था में रहल प्राणी लोग के हृदय में धर्म के उदय करावे वाला आशुतोष भगवान शिवके अत्यन्त प्रिय दिन के रुप में भी मानल जाला।
व्रत उत्सव मध्ये सर्वोतम कहल गईल महाशिवरात्री के दिन भक्तजन लोग शुद्ध हो के पुजा अर्चना करेला लोग व्रत आ उपवास राखेला लोग। भगवान शिव के प्रिय वस्तु गाई क़े दूध, बेलपत्र, भांग, धतुरा अर्पण करेला लोग।
एह पर्व के दिन उपवास रख के "ॐ नम :शिवाय" मन्त्र के जाप कईला से सर्वसिद्धी लाभ होला आ यमलोक ना जाए के धार्मीक बिश्वास रहल बा।
ब्रह्मा जी रुद्ररुपी शिव जी के उत्पन्न करल दिन शिव पार्वती के विवाह के दिन महाशिवरात्री के पर्व कृष्ण चतुर्दशी क़े दिन में मनावल जाला। निर्जल व्रत,रात्री जागरण,चार प्रहार के पुजा, शिव लिङ्ग के दुध से अभिषेक आ साथे शिव महिमा के किर्तन भजन महाशिवरात्री के मुख्य अङ्ग मानल जाला।
महाशिवरात्री के व्रत के सारा व्रत के राजा मानल जाला। महाशिवरात्री के व्रत कईला से भोग आ मोक्ष दुनो के प्राप्ती होला।
महाशिवरात्री के व्रत काल में भगवान शिव के पुजा ध्यान आ जाप कईल जाला। जागरण काल में भक्त के सम्पुर्ण सत्ता जागरण से शिवमय होजाला।
एह दिन मध्यरात्री काल में भगवान शंकर ब्रह्मा से रुद्र के रुप में अवतरण भईल रहलें धार्मिक विश्वास बा।
एही दिने शिव जी आ पार्वती के विवाह भईल रहे एहिसे एह दिन रात में शिव जी के बारात निकाल के उत्सव मनावे के चलन बा। ब्राह्मण, क्षत्रिय,बैश्य, शुद्र, स्त्री, पुरुष, बालक सभे के एह व्रत पालन करे के योग्य मानल जाला।
शिवरात्री हर महिना के कृष्ण पक्ष के चतुर्दशी तिथि के परेला। आ महाशिवरात्री फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष के चतुर्दशी तिथी में परेला। एह प्रकार साल भर में १२ गो शिवरात्री परेला।
एह प्रकार महाशिवरात्री के अर्थ होला उ रात जवन आनन्द प्रदायिनी बा आ जेकर शिव के साथ विशेष सम्बन्ध बा। महाशिवरात्री क़े दिन शिव जी के पुजा अर्चना आ उपवास रखे के विशेष प्रावधान बा।